महामारी के दौर में विद्यालय खोलने का विरोध
संतोष कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ
शिक्षक हित में कार्यरत उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (सम्बद्ध) अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील पांडे ने 1 जुलाई से महामारी के दौर में विद्यालय खोलने का विरोध किया जिसका समर्थन करते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद शर्मा, यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उत्तर प्रदेशीय अध्यक्ष विनय सिंह, प्राथमिक शिक्षक संघ (पंजीकरण संख्या 1160 )उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष ,राम प्रकाश साहू, जूनियर हाई स्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश त्यागी ,विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष संतोष तिवारी, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रीना त्रिपाठी, व कई शिक्षक संगठनों ने पत्र जारी कर अधिकारिक रूप से 1 जुलाई 2020 को परिषदीय विद्यालय खोलकर शिक्षको के बैठने पर आपत्ति दर्ज की है।
विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इससे होने वाले दुष्परिणामों से राज्य सरकार को अवगत कराया। राजधानी लखनऊ में प्रतिदिन नए क्षेत्रों में करोना वापस आ रहा है उसी तरह से कंटेनमेंट जोन बढ़ते जा रहे हैं और लगभग एक सौ छह के पार पहुंच गए हैं ।
बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश के अनुसार परिषदीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक अध्यापक व अन्य स्टाफ विद्यालय से संबंधित सभी सूचनाएं लॉकडाउन के दौरान विभाग को ऑनलाइन उपलब्ध कराते रहे है तथा अधिकांश शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज द्वारा बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी सुचारू रूप से किया।
जनपद गोरखपुर ,लखनऊ ,आगरा और हाथरस में कोविड-19 का प्रकोप अपने चरम पर है यहां संक्रमित कई शिक्षक विभागीय कार्य हेतु बीआरसी पर उपस्थित हुए इस कारण से उस दिन उन बीआरसी में उपस्थित अन्य शिक्षकों तथा वहां के कर्मचारियों को संक्रमण की संभावना के घेरे में ले लिया वहां के कर्मचारियों को कोरनटाइन किया गया।
विभिन्न विद्यालयों की 90% महिलाएं शिक्षिका सार्वजनिक संसाधनों व सामूहिक रूप से वैन द्वारा विद्यालय जाती हैं ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर पाना संभव नहीं होगा।
करोना महमारी में शासन द्वारा 1 जुलाई 2020 से विद्यालय खोलकर विद्यालय में शिक्षकों के उपस्थित रहने के निर्देश जारी किए गए हैं जबकि प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को लॉक डॉउन की अवधि में विभाग द्वारा राशन कार्ड का सत्यापन ,राशन का वितरण ,पोषाहार वितरण ,हॉटस्पॉट क्षेत्रों व कोरेनटाइन केंद्रों पर रेलवे स्टेशनों पर प्रवासियों को ट्रेन में बैठाने और उनको उतारने का कार्य लगातार चलता आ रहा है। इस दौरान विभाग द्वारा सौंपे गए अन्य सभी कार्य विभागीय कार्य जैसे ऑनलाइन शिक्षा ,ऑनलाइन पुस्तकों का पढ़ना ,ऑनलाइन ऐप के माध्यम से शिक्षण तकनीकी को सीखना इत्यादि जारी रहा परंतु दिन प्रतिदिन प्रबल होती महामारी की संभावना अपने विद्यालय में बच्चों का आना लगभग असंभव कर दिया है, ऐसी स्थिति में दूरदराज के इलाकों में सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग कर पहुंचा है शिक्षक शहर से गांव की तरफ संक्रमण का बड़ा वाहक भी सिद्ध हो सकता है ,जो भविष्य में गांव वालों के लिए आक्रोश का कारण बन सकता है।
शिक्षकों द्वारा रेल, बस तथा सामूहिक यातायात के साधनों का प्रयोग किया जाना आम बात रही है। परंतु इस महामारी के दौर में विभिन्न जनपदों से एक स्थान से दूसरे स्थान तथा शिक्षकों को कार्यालय जनपद में पहुंचने पर महामारी अधिनियम के अंतर्गत 14 दिन कोरनटाइन होना पड़ेगा। ऐसे जनपदों से आने वाले शिक्षकों को मकान मालिक मकान देने को तैयार नहीं है। तमाम शिक्षक शिक्षिकाएं विकलांग हैं तमाम शिक्षिकाएं गर्भवती हैं तथा तमाम शिक्षिकाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को जिनका की स्कूल इस समय बंद चल रहा है घर में किसी के ना होने पर रिश्तेदारों के यहां छोड़ नहीं सकते औरअकेले छोड़कर आने पर भयभीत हैं।
प्रदेश के समस्त शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण कर रहे हैं। समस्त सूचनाएं समय पर ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे हैं। विभाग का कार्य शिक्षकों के कारण समय से ऑनलाइन कराया जा रहा है और भविष्य में भी जो कार्य शिक्षकों को दिया जाएंगे उनको करने के लिए तैयार हैं परंतु इस कोविड-19 की महामारी के दौर में विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति नहीं होने पर भी शिक्षकों का विद्यालय में बैठना बहुत जान जोखिम में डालने वाला निर्णय तथा अनायास प्रताड़ना की ओर संकेत करता है।
देश के विभिन्न जनपदों हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में अगस्त तक विद्यालय बंद कर दिए गए हैं इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, प्राथमिक और जूनियर के शिक्षकों को भी अनिवार्य रूप से उपस्थिति से मुक्त करने का निर्देश जारी किया जाना समयचीन लगता है।
प्रदेश के समस्त जनपद मुख्यतः मेरठ ,सहारनपुर ,आगरा ,
अलीगढ़, मुरादाबाद ,लखनऊ कानपुर आदि महामारी से दिन प्रतिदिन प्रभावित होते जा रहे हैं ,जिससे लंबी दूरी तक यात्रा कर अपने कार्यस्थल तक कार्यालय तक और बीएसए ऑफिस तक पहुंचने वाले शिक्षक वायरस के वाहक बहुत ही आसानी से बन सकते हैं और संक्रमण की श्रृंखला बहुत तेजी से बढ़ सकती है।
अतः विभिन्न संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से शिक्षक हित को देखते हुए 1 जुलाई से विद्यालय खोलने का विरोध किया गया है।
बेसिक शिक्षा मंत्री से सभी शिक्षक संगठनों ने आग्रह किया है कि इन विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती सभी कार्य ऑनलाइन कराए जाने का आग्रह किया है
कोविड-19 संक्रमण के इस दौर में प्रदेश सरकार का समर्थन तथा उसके निर्णय में सहयोग करते हुए आम शिक्षक विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से आदरणीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से महामारी के इस दौर में जीवन रक्षा और संक्रमण से समाज परिवार व देश की रक्षा के लिए 1 जुलाई 2020 से स्कूल खोलने के निर्णय को वापस लेने का आग्रह करता है।
एडिटर- आदर्श शुक्ला
9454850936
लखनऊ
शिक्षक हित में कार्यरत उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (सम्बद्ध) अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील पांडे ने 1 जुलाई से महामारी के दौर में विद्यालय खोलने का विरोध किया जिसका समर्थन करते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद शर्मा, यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उत्तर प्रदेशीय अध्यक्ष विनय सिंह, प्राथमिक शिक्षक संघ (पंजीकरण संख्या 1160 )उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष ,राम प्रकाश साहू, जूनियर हाई स्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश त्यागी ,विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष संतोष तिवारी, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रीना त्रिपाठी, व कई शिक्षक संगठनों ने पत्र जारी कर अधिकारिक रूप से 1 जुलाई 2020 को परिषदीय विद्यालय खोलकर शिक्षको के बैठने पर आपत्ति दर्ज की है।
विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इससे होने वाले दुष्परिणामों से राज्य सरकार को अवगत कराया। राजधानी लखनऊ में प्रतिदिन नए क्षेत्रों में करोना वापस आ रहा है उसी तरह से कंटेनमेंट जोन बढ़ते जा रहे हैं और लगभग एक सौ छह के पार पहुंच गए हैं ।
बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश के अनुसार परिषदीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक अध्यापक व अन्य स्टाफ विद्यालय से संबंधित सभी सूचनाएं लॉकडाउन के दौरान विभाग को ऑनलाइन उपलब्ध कराते रहे है तथा अधिकांश शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज द्वारा बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी सुचारू रूप से किया।
जनपद गोरखपुर ,लखनऊ ,आगरा और हाथरस में कोविड-19 का प्रकोप अपने चरम पर है यहां संक्रमित कई शिक्षक विभागीय कार्य हेतु बीआरसी पर उपस्थित हुए इस कारण से उस दिन उन बीआरसी में उपस्थित अन्य शिक्षकों तथा वहां के कर्मचारियों को संक्रमण की संभावना के घेरे में ले लिया वहां के कर्मचारियों को कोरनटाइन किया गया।
विभिन्न विद्यालयों की 90% महिलाएं शिक्षिका सार्वजनिक संसाधनों व सामूहिक रूप से वैन द्वारा विद्यालय जाती हैं ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर पाना संभव नहीं होगा।
करोना महमारी में शासन द्वारा 1 जुलाई 2020 से विद्यालय खोलकर विद्यालय में शिक्षकों के उपस्थित रहने के निर्देश जारी किए गए हैं जबकि प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को लॉक डॉउन की अवधि में विभाग द्वारा राशन कार्ड का सत्यापन ,राशन का वितरण ,पोषाहार वितरण ,हॉटस्पॉट क्षेत्रों व कोरेनटाइन केंद्रों पर रेलवे स्टेशनों पर प्रवासियों को ट्रेन में बैठाने और उनको उतारने का कार्य लगातार चलता आ रहा है। इस दौरान विभाग द्वारा सौंपे गए अन्य सभी कार्य विभागीय कार्य जैसे ऑनलाइन शिक्षा ,ऑनलाइन पुस्तकों का पढ़ना ,ऑनलाइन ऐप के माध्यम से शिक्षण तकनीकी को सीखना इत्यादि जारी रहा परंतु दिन प्रतिदिन प्रबल होती महामारी की संभावना अपने विद्यालय में बच्चों का आना लगभग असंभव कर दिया है, ऐसी स्थिति में दूरदराज के इलाकों में सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग कर पहुंचा है शिक्षक शहर से गांव की तरफ संक्रमण का बड़ा वाहक भी सिद्ध हो सकता है ,जो भविष्य में गांव वालों के लिए आक्रोश का कारण बन सकता है।
शिक्षकों द्वारा रेल, बस तथा सामूहिक यातायात के साधनों का प्रयोग किया जाना आम बात रही है। परंतु इस महामारी के दौर में विभिन्न जनपदों से एक स्थान से दूसरे स्थान तथा शिक्षकों को कार्यालय जनपद में पहुंचने पर महामारी अधिनियम के अंतर्गत 14 दिन कोरनटाइन होना पड़ेगा। ऐसे जनपदों से आने वाले शिक्षकों को मकान मालिक मकान देने को तैयार नहीं है। तमाम शिक्षक शिक्षिकाएं विकलांग हैं तमाम शिक्षिकाएं गर्भवती हैं तथा तमाम शिक्षिकाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को जिनका की स्कूल इस समय बंद चल रहा है घर में किसी के ना होने पर रिश्तेदारों के यहां छोड़ नहीं सकते औरअकेले छोड़कर आने पर भयभीत हैं।
प्रदेश के समस्त शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण कर रहे हैं। समस्त सूचनाएं समय पर ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे हैं। विभाग का कार्य शिक्षकों के कारण समय से ऑनलाइन कराया जा रहा है और भविष्य में भी जो कार्य शिक्षकों को दिया जाएंगे उनको करने के लिए तैयार हैं परंतु इस कोविड-19 की महामारी के दौर में विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति नहीं होने पर भी शिक्षकों का विद्यालय में बैठना बहुत जान जोखिम में डालने वाला निर्णय तथा अनायास प्रताड़ना की ओर संकेत करता है।
देश के विभिन्न जनपदों हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में अगस्त तक विद्यालय बंद कर दिए गए हैं इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, प्राथमिक और जूनियर के शिक्षकों को भी अनिवार्य रूप से उपस्थिति से मुक्त करने का निर्देश जारी किया जाना समयचीन लगता है।
प्रदेश के समस्त जनपद मुख्यतः मेरठ ,सहारनपुर ,आगरा ,
अलीगढ़, मुरादाबाद ,लखनऊ कानपुर आदि महामारी से दिन प्रतिदिन प्रभावित होते जा रहे हैं ,जिससे लंबी दूरी तक यात्रा कर अपने कार्यस्थल तक कार्यालय तक और बीएसए ऑफिस तक पहुंचने वाले शिक्षक वायरस के वाहक बहुत ही आसानी से बन सकते हैं और संक्रमण की श्रृंखला बहुत तेजी से बढ़ सकती है।
अतः विभिन्न संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से शिक्षक हित को देखते हुए 1 जुलाई से विद्यालय खोलने का विरोध किया गया है।
बेसिक शिक्षा मंत्री से सभी शिक्षक संगठनों ने आग्रह किया है कि इन विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती सभी कार्य ऑनलाइन कराए जाने का आग्रह किया है
कोविड-19 संक्रमण के इस दौर में प्रदेश सरकार का समर्थन तथा उसके निर्णय में सहयोग करते हुए आम शिक्षक विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से आदरणीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से महामारी के इस दौर में जीवन रक्षा और संक्रमण से समाज परिवार व देश की रक्षा के लिए 1 जुलाई 2020 से स्कूल खोलने के निर्णय को वापस लेने का आग्रह करता है।
एडिटर- आदर्श शुक्ला
9454850936


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