लखनऊ/बीकेटी - फर्जी गैंगरेप केस में महिला को सज़ा, ईमानदार जांच से सच्चाई सामने लाईं सीओ नवीना शुक्ला
न्याय की जीत, अफसर की निडरता बनी मिसाल; कोर्ट ने कहा—“झूठ अब नहीं बचेगा”
लखनऊ, बक्शी का तालाब। फर्जी गैंगरेप केस में अदालत के सख्त फैसले ने न केवल झूठ को बेनकाब किया, बल्कि ईमानदार और निर्भीक पुलिसिंग की भी एक मिसाल कायम की है। इस केस की जांच अधिकारी सीओ नवीना शुक्ला ने जिस सूझबूझ, निष्पक्षता और साहस के साथ केस की परतें खोलीं, वह उत्तर प्रदेश पुलिस में एक मिसाल के तौर पर दर्ज हो गया है।
4 अक्टूबर 2022 को दर्ज कराए गए कथित गैंगरेप केस में महिला ने कई गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन *सीओ नवीना शुक्ला* ने तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों के आधार पर पूरे मामले की बारीकी से जांच की। उनके नेतृत्व में पुलिस टीम ने हर पहलू को खंगाला और अंततः यह साबित कर दिया कि मामला पूरी तरह से झूठा और पूर्व नियोजित था।
कोर्ट ने दिया सशक्त संदेश, अफसर की सराहना
विशेष एससी/एसटी कोर्ट ने सोमवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिला को 7 साल 6 महीने की सश्रम कैद सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले में जांच अधिकारी सीओ नवीना शुक्ला की निष्पक्ष कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि "ऐसे अफसर ही न्याय व्यवस्था की रीढ़ हैं।"
जनता बोली—"ऐसे अफसरों से ही बचता है भरोसा"
स्थानीय निवासियों ने भी सीओ नवीना शुक्ला के कार्य की खुलकर तारीफ की है। लोगों का कहना है कि "जब सच को बिना किसी दबाव के सामने लाने वाले अफसर सिस्टम में होते हैं, तभी आम आदमी का भरोसा बना रहता है।"
महिलाओं की सुरक्षा बनाम झूठ का जाल—फैसला देगा दिशा
यह फैसला एक अहम सामाजिक संदेश देता है कि जहां एक ओर महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता है, वहीं कानून का दुरुपयोग करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है। इस फैसले और नवीना शुक्ला की निष्पक्ष जांच को समाज एक नजीर और प्रेरणा के रूप में देख रहा है।
एडिटर - आदर्श शुक्ला
संपर्क सूत्र - 9454850936
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