सहायक कामगार आयुक्त चंद्रपुर की कामगार अधिकारी , सफाई कामगार का शोषण/ हनन करने वाले ठेकेदार और प्रमुख अधिकारी कार्यकारी अभियंता के पक्ष में ले रहे थे निर्णय

चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

 
उन्हीं के कर्मचारी ने आकर लगायी रोक बिना जांच के नही कर सकते केस बंद का निर्णय

10 नवंबर को सहायक कामगार आयुक्त कार्यालय चंद्रपुर की कामगार अधिकारी नान्हे मैडम आज दुसरी तारीख पर ही केस बंद  करने की बात बोलकर ठेकेदार और 500 केव्ही लाईन डिवीज़न के कार्यकारी अभियंता के पक्ष में बात रखके केस बंद कर चुके थे, लेकीन जब आदर्श मिडीया एसोसिएशन की महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्षा ने  objection लिया और माहिती अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत किस आधार पर केस बंद की जा रही और कामगार, ठेकेदार और प्रिन्सीपल आँफीसर को कितने नोटीस भेजे और किस अहवाल के आधार पर केस को बंद करने का निर्णय लिया गया है ऐसी जानकारी मांगने हेतु आवेदन देने लगे तब जाकर सहायक कामगार आयुक्त चंद्रपुर के कर्मचारी धनगर सर ने आकर सहायक कामगार आयुक्त के कामगार अधिकारी नान्हे मँडम को रोका और सुनावनी की अगली तारीख दी गयी , कामगार अधिकारी नान्हे मैडम कामगार के हित में सटीक निर्णय लेने में सक्षम नही है तो फिर वरिष्ठों ने ऐसे निक्कमें कर्मचारी को जिम्मेदारी क्यों दी ? और किस लिए? सबसे बड़ा परेशान करने वाला सवाल है?? क्या सिर्फ वेतन लेने के हकदार है। पहली सुनावनी में सहायक कामगार आयुक्त धुर्वे सर ने कामगार के हित में निर्णय लेने के आदेश कामगार अधिकारी नान्हे और कार्यकारी अभियंता गादेवार जी को दिये लेकीन दोनो अधिकारी कंत्राटी सफाई कामगार को नजर अंदाज करके, ठेकेदार की और से फैसला लेते नजर आये। 
        वैसे तारीख के एक दिन पहले सहायक कामगार आयुक्त कार्यालय में ठेकेदार और उनके पती किस लिए अधिकारी से मिलने आये?? जब ना कोई निवेदन और ना कोई स्पष्टीकरण ? ठेकेदार ने स्पष्टीकरण तो तारीख के दिन दिया गया?  कंत्राटी कामगार की मजबुरी सहायक कामगार आयुक्त को क्यु दिखाई नहीं दे रही ? सफाई कामगार को कामगार अधिकारी बार बार कोर्ट जाने की बात बोलकर क्या साबित करना चाहते? अनेक सवाल मन में निर्माण हो रहे हैं। आखीर कामगारों के हित में खोला गया कार्यालय आखिर किस के लिए काम करता है ? बिना कोई जाँच के बिना कोई पुरावे लिए एक जनता का सेवक कामगार जनता की दिशाभुल करके खुर्ची का गैरवापर करते हुये दिखाई देता नजर आ रहा है। ऐसे गैरजिम्मेदार कामगार अधिकारी पर कारवाई होना अनिवार्य है। जब एक जिम्मेदार अधिकारी को पुछा गया की किस नियम और कायदा अंतर्गत केस को बंद किया जा रहा, तब महोदया जवाब कहती है की आप लोग किताब पढ़ो, कामगार और जनता को किताब पढने का ग्यान बाटने वाली अधिकारी खुद नियम और कायदे से परे है। ऐसे सरकारी कर्मचारियों पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कारवाई करनी चाहिए, कामगार अधिकारी के बेतुके निर्णय के कारण ही मुक्ता टूर एण्ड ट्रैव्हल्स कंपनी के ठेकेदार और इनके जैसे कही ठेकेदार कंत्राटी कामगारो का शोसन कर रहे हैं। एक तो कामगार आयुक्त कार्यालय चंद्रपुर में कंत्राटी कामगार को न्याय मिले या फिर यहा से कार्यालय को बंद करना चाहिए, अधिकारी और कर्मचारी को बेवजह पब्लिक फंड से वेतन क्यु दे? इस गंभीर विषय पर बहुत ही जल्द आदर्श मिडीया एसोसिएशन महाराष्ट्र शासन को शिकायत देने वाले है। आदर्श मिडीया एसोसिएशन के पास हर तरीके का प्रुफ हैं। सफाई कामगार वर्षा पहानपटे के साथ हो रहे अन्याय को देखकर प्रधान अधिकारी और ठेकेदार को फटकार लगाने के बजाय कामगार से ही बेतुके सवाल कर रही थी। कामगार अधिकारी किसके दबाव में निर्णय ले रहे ?

Comments