थाना जानकीपुरम। ड्यूटी के बाद देती हैं बच्चों को शिक्षा, यूपी पुलिस के कांस्टेबल की हो रही चर्चा
पत्रकार संतोष कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ। 2016 से सरिता शुक्ला ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे।
विरले ही होते हैं जो अपने सीमित समय और संसाधनों का इस्तेमाल समाज को बेहतर बनाने के लिए करते हैं, मगर ऐसे कुछ एक लोग भी बाकियों के लिए मिसाल बन जाते हैं। लखनऊ पुलिस में तैनात महिला सिपाही सरिता शुक्ला अपनी ड्यूटी के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ा कर शिक्षा की अलख भी जगा रही हैं। उनके इस काम से जहां उनके विभाग के अधिकारी भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।प्रतापगढ़ के एक गांव की रहने वाली महिला सिपाही सरिता शुक्ला पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं. 2016 से सरिता ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने यह मुहिम चलाकर पहले ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ा जो पढ़ना चाहते थे पर स्कूल नहीं जा पा रहे थे। धीरे-धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने फिर ऐसे लोगों को तलाश किया जो उनके ही जैसे हो, यानी बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते हों। ऐसे लोगों को साथ लेकर वह और आगे बढ़ी। पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद भी उनका गरीब बच्चों को शिक्षा देने का जज्बा कम नहीं हुआ और उन्होंने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से अंजाम देते हुए बाकी बचे समय में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य लगातार जारी रखा। पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद सरिता शुक्ला की पहली पोस्टिंग अम्बेडकरनगर जनपद में हुई। उन्होंने आस-पास के गांव में भी ऐसे बच्चों की तलाश की और धीरे-धीरे यह उन गांव में जाकर भी बच्चों को पढ़ाने लगी।फिलहाल सरिता शुक्ला की तैनाती जानकीपुरम थाने में PRB 0483 पर है लेकिन समय मिलने पर यह आज भी जानकीपुरम में पाठशाला चलाकर बच्चों को लगातार शिक्षा दे रही है। महिला सिपाही सरिता शुक्ला का कहना है कि मेरा मकसद अधिक से अधिक गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना है ताकि कोई भी गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना जीवन बेकार है जिसके जीवन में शिक्षा नहीं होती उसका जीवन अंधकारमय होता है।
एडिटर - आदर्श शुक्ला
9454850936
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