सूचना के अधिकार में झुठी जानकारी देने वाला लोक सुचना अधिकारी प्रभारी तहसीलदार चिडे की हिटलर शाही के खिलाफ आदर्श मिडीया एसोसिएशन की महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्षा प्रिया झांबरे ने की शिकायत
जिवती तहसील कार्यालय के तहसीलदार चिडे ही लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपील अधिकारी के रोल में
जिवती। तहसील कार्यालय जिवती मे दिनांक २१ सप्टेबंर २०२२ को शिकायत कर्ता प्रिया झांबरे जी ने सूचना के अधिकार में सन २०२१ से २०२२ तक की कितने खनन माफिया की गाडियों पर कारवाई की इसकी जानकारी मांगने पर, जिवती तहसील कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी के उपस्थिति में ,प्रथम अपील अधिकारी तथा तहसीलदार चिडे ने जानकारी छुपाने की मनशा और पोल खुलने के डर को मन में लेकर नायब तहसीलदार तथा लोक सुचना अधिकारी की जगह हस्ताक्षर किये, जब २६ सप्टेबंर २०२२ को तहसील कार्यालय से जानकारी प्राप्त हुयी तब यह बात का खुलासा हुआ आज तक ना जाने कितने लोगों को इस तरह से गुमराह किया गया होगा, प्रभारी तहसीलदार के पद पर बैठ कर हुकुमशाही, हिटलरशाही चलाने वाले तहसीलदार चिडे ने २६ जनवरी २०२२ को सदाम शेख की हायवा गाडी एम एच ३४/ २८९१ का सच सामने आने की डर से प्रभारी तहसीलदार चिडे बौखला गये और लोक सूचना अधिकारी के पद पर खुद ही हस्ताक्षर कर बैठे,
अगर लोक सुचना अधिकारी कार्यालय में उपस्थित थे तो हस्ताक्षर करने की ज़रुरत क्या थी ? अगर लोक सुचना अधिकारी तथा नायब तहसीलदार उपस्थित नहीं थे तो उनका इंतजार क्यु नहीं किया गया ?? क्या उन्हें सुचना के अधिकार का काम आता नहीं या फिर प्रभारी तहसीलदार खुद की गलतियों को छुपाकर रखना चाहते थे ? यह सवाल जनता को और शिकायतकर्ता को सोचने पर विवश कर रहा है! आखीर जिवती तहसील के प्रभारी तहसीलदार चिडे सूचना के अधिकार अंतर्गत दिशाभुल करने वाली जानकारी प्रकाशित क्यों कर रहे है, आखीर इसके पिछे का सच जिल्हाधिकारी गुल्हाने चंद्रपुर और एस डी एम खलाटे राजुरा लगा पायेंगे या प्रभारी तहसीलदार चिडे की झुठी दलीलो पर बचाया जायेगा ? सारे सबुत चिडे के खिलाफ हैं और तहसीलदार चिडे ने हस्ताक्षर करके सदाम शेख की अवैध खनन करते पकडी गयी हायवा छोडने के लिए बडी रक्कम वसुली गयी या सदाम शेख सरकारी अधिकारीयों का जवाई है। तहसीलदार चिडे और सदाम शेख के बिच ऐसा कौनसा मोहब्बत वाला रिश्ता हैं जो आँन ड्युटी रहने के बावजूद शासन के पिठ पर खंजर घौपकर, शासन का नुकसान करके सदाम शेख की खिदमत की गयी पुरे चंद्रपूर की नही तो महाराष्ट्र की जनता और शिकायतकर्ता प्रिया झांबरे भी वरिष्ठ अधिकारियों से जानना चाहती हैं । जिवती तालुका एक पिछडा हुआ और अती दुर्गम तालुका है आज भी पुरे भारत देश में आँनलाईन काम चलता लेकीन जमीनो के हस्तलिखित कार्य होते हैं ऐसे में प्रभारी तहसीलदार के पद पर बैठ कर खनन माफिया से चिडे खुब रिश्तेदारी दोस्ताना निभाते नजर आ रहे! खनन माफिया की गाडियों पर कारवाई संबधित जानकारी सहायक लोक सुचना अधिकारी ने भी सही जानकारी देकर अपना कर्तव्य पुरा करना चाहिए लेकीन जिवती तहसील कार्यालय में भ्रष्ट अधिकारी के हाँ मे हाँ मिलाकर जनता को आधी अधुरी जानकारी देकर सच्चाई से वंचित रखा जा रहा हैं!
प्रिया झांबरे ने २६ जनवरी २०२२ को हुये हायवा गाडी जप्ती और पुलीस स्टेशन जिवती मे की गयी शिकायत पर शेणगांव के पुलीस पाटील माने जी से बात करने पर कुछ जानकारी प्राप्त हुयी की, तहसीलदार चिडे ने मरकागोंदी में गाडी पकडकर पुलीस पाटील पहूँचने के पहले ही जप्ती नामा तयार किया गया था और तहसीलदार चिडे की गाडी में हायवा गाडी एम एच ३४ /२८९१ का ड्राइवर भी साथ में था, और जिवती थाना प्रभारी जगताप का कहना है की जाँच के दौरान कोई भी लिगल जप्तीनामा ना होने के कारण तहसीलदार चिडे को जुबानी सूचना देकर केस को बंद किया गया आखीर सच कौन बोल रहा है ?? प्रभारी तहसीलदार चिडे या जिवती थाना प्रभारी जगताप, वरिष्ठ अधिकारी की कारवाई पर शिकायतकर्ता प्रिया झांबरे प्रतीक्षा में....जब लोक सुचना अधिकारी और सहायक सूचना अधिकारी ने आवेदक प्रिया झांबरे जी को जानकारी दी उसमें यह स्पष्ट लिखा है की सन २०२२ में कोई भी अवैध खनन करते गाडी पकडी नहीं गयी फिर आदर्श मिडीया एसोसिएशन तथा युवा स्वाभिमान पार्टी और अंतरराष्ट्रिय मानव अधिकार कम्यूनिटी इंडिया के हाथ जो प्रुफ लगे हैं उसमे तहसीलदार चिडे का नाम लिखा है क्या ये झुठ हैं! उस जप्तीनामा को कौन सा बडा अधिकारी परीक्षण करने भेजेंगे क्या जिला कलेक्टर और एस डी एम राजूरा आँखों पर काली पट्टी बांधकर रहेंगे या कारवाई करेंगे!
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